DEKHO NCR
फरीदाबाद,02 अक्तूबर(रूपेश कुमार)। अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह ने फरीदाबाद स्थित एकलव्य इंस्टिट्यूट में गांधी जयंती पर एक सेमिनार का आयोजन किया तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए देशवासियों को शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर डॉक्टर एमपी सिंह ने कहा कि भारत के इतिहास में दो अक्टूबर बेहद महत्वपूर्ण है इस दिन महात्मा गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी जी ने देशवासियों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया था तथा शांतिपूर्ण तरीके से अंग्रेजों से लड़ना सिखाया था लाल बहादुर शास्त्री जी ने अनाज उत्पादन के मामलों में देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक नई गति दी थी। इन दोनों के योगदान को कभी बुलाया नहीं जा सकता है। यह दोनों ही सब की सरलता और ब्रह्म मित्रता का प्रतीक रहे हैं जय जवान जय किसान का नारा देकर शास्त्री जी अमर हो गए शास्त्री जी के अथक प्रयासों से देश में हरित क्रांति आई अपने कार्यों की वजह से मोहनदास करमचंद गांधी महात्मा व राष्ट्रपिता बन गए वह अंग्रेजों के खिलाफ अनशन पर बैठकर तथा भूख हड़ताल की ब्रिटिश सरकार की गुलामी से मुक्ति पाने के लिए अहिंसा के रास्ते को अपनाया सब ने अवज्ञा आंदोलन असहयोग आंदोलन नमक सत्याग्रह आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन आदि जैसे अनेकों आंदोलन चलाए और अंग्रेजों को गांधी जी के विचारों के सामने झुकना पड़ा तथा देश छोड़कर जाना पड़ा।
इस अवसर पर डॉ एमपी सिंह ने सेमिनार में बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। जिन्हें प्यार से लोग बापू कहकर पुकारते थे उनका जन्म दो अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था इस दिन सरकारी छुट्टी रहती है। इस दिन सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय तथा शिक्षण संस्थाओं की भी छुट्टी रहती है अनेकों शिक्षण संस्थानों में इस दिन भाषण प्रतियोगिता, बाद विवाद प्रतियोगिता, ड्राइंग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन कराया जाता है तथा साफ- सफाई करके स्वच्छता का संदेश भी दिया जाता है। देश की स्वतंत्रता में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम अग्रणीय है। देश की आजादी दिलाने में गांधी जी की अहम भूमिका रही है। हमें उनके आदर्शों पर चलना चाहिए तथा आगामी युवा पीढ़ी को उनका इतिहास पढ़ाना चाहिए। इस अवसर पर इंस्टिट्यूट के सभी प्राध्यापक भी मौजूद रहे।