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फरीदाबाद,17 अक्तूबर(रूपेश कुमार)। औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में ट्रोमा सैन्टर बनाने की मांग दो वर्षों से चली आ रही है, बावजूद इसके आज तक केन्द्र व राज्य सरकार ने इस मांग पर काफी गौर नहीं किया। आज फिर एक बार विश्व ट्रोमा सैन्टर दिवस पर फरीदाबाद के समाजसेवियों ने जिला सिविल सर्जन फरीदाबाद डा. विनय गुप्ता, सिविल अस्पताल की प्रधान चिकित्सा अधिकारी डा. सविता यादव को ट्रोमा सैन्टर बनाने की मांग का ज्ञापन सौंपा।
ट्रोमा सैन्टर को लेकर पिछले दो वर्षों से सेवा वाहन के संचालक सतीश चोपड़ा से लगभग 20 हजार लोगों के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम पहले दे चुके है।
आज ज्ञापन देने वाले समाजसेवियों का नेतृत्व अनशनकारी बाबा रामकेवल कर रहे है। जबकि ज्ञापन देने वालों में समाजसेवी सतीश चोपड़ा, आम आदमी पार्टी के नेता संतोष यादव, सिद्धपीठ श्री महाकाली मंदिर के प्रधान राकेश उर्फ रक्कू, अजय सैनी सहित अन्य समाजसेवी मौजूद रहे।
ज्ञापन में कहा गया है कि जिला फरीदाबाद व जिला पलवल क्षेत्र में सरकारी ट्रॉमा सेंटर नहीं है व इन दोनों जिलों की कुल आबादी 40 लाख से अधिक है। इनमें से फरीदाबाद जिले की ही आबादी 29 लाख के लगभग है।
फरीदाबाद, बल्लभगढ़ में स्लम बस्तियां व कॉलोनियां ज्यादा है, जिनमें ज्यादातर गरीब तबके के लोग रहते हैं वह औद्योगिक नगरी होने के कारण गंभीर हादसे भी ज्यादा होते हैं जैसे छत से गिरना, किसी मशीन की चपेट में आना, आग लगना, करंट लगना व सडक़ हादसों में गंभीर रूप से घायल होना।
इन परिस्थितियों में जब मरीज को सिविल अस्पताल पलवल व सिविल अस्पताल होडल लाया जाता है तो उनको फस्र्ट एड देकर दिल्ली रेफर कर दिया जाता है।
आज ज्ञापन देने वाले समाजसेवियों का नेतृत्व अनशनकारी बाबा रामकेवल कर रहे है। जबकि ज्ञापन देने वालों में समाजसेवी सतीश चोपड़ा, आम आदमी पार्टी के नेता संतोष यादव, सिद्धपीठ श्री महाकाली मंदिर के प्रधान राकेश उर्फ रक्कू, अजय सैनी सहित अन्य समाजसेवी मौजूद रहे।
ज्ञापन में कहा गया है कि जिला फरीदाबाद व जिला पलवल क्षेत्र में सरकारी ट्रॉमा सेंटर नहीं है व इन दोनों जिलों की कुल आबादी 40 लाख से अधिक है। इनमें से फरीदाबाद जिले की ही आबादी 29 लाख के लगभग है।
फरीदाबाद, बल्लभगढ़ में स्लम बस्तियां व कॉलोनियां ज्यादा है, जिनमें ज्यादातर गरीब तबके के लोग रहते हैं वह औद्योगिक नगरी होने के कारण गंभीर हादसे भी ज्यादा होते हैं जैसे छत से गिरना, किसी मशीन की चपेट में आना, आग लगना, करंट लगना व सडक़ हादसों में गंभीर रूप से घायल होना।
इन परिस्थितियों में जब मरीज को सिविल अस्पताल पलवल व सिविल अस्पताल होडल लाया जाता है तो उनको फस्र्ट एड देकर दिल्ली रेफर कर दिया जाता है।
बल्लभगढ़ के क्षेत्र में कोई सडक़ हादसा होने पर पहले मरीज को बल्लभगढ़ सिविल अस्पताल लाया जाता है फिर सिविल अस्पताल से फरीदाबाद सिविल अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है जहां ट्रॉमा सेंटर व आईसीयू की सुविधा व विशेषज्ञ डॉक्टर ना होने की वजह से उसे फस्र्ट एड देकर दिल्ली ट्रोमा सेंटर रेफर कर दिया जाता है, जो काफी दूर पड़ता है और इस दौरान मरीज का काफी समय बर्बाद हो जाता है और बहुत बार समय पर इलाज ना मिलने की वजह से कई मरीजों की मौत भी हो जाती है व मजबूरन गरीब व लाचार व्यक्ति को प्राइवेट अस्पताल में अपने मरीज को लेकर जाता है जहां भारी भरकम बिल वसूला जाता है। गरीब व्यक्ति जान से जाता है या जायदाद से।
सभी समाजसेवियों ने केन्द्र व राज्य सरकार से मांग की है कि फरीदाबाद या बल्लभगढ़ में सरकारी ट्रामा सैंटर बनाया जाए। जिससे फरीदाबाद, बल्लभगढ़, एनआईटी, पृथला, तिगांव पलवल व होडल में रहने वाले क्षेत्रवासियों को लाभ मिलें व असमय होने वाली मौतों की संख्या भी कम हो सके।
सभी समाजसेवियों ने केन्द्र व राज्य सरकार से मांग की है कि फरीदाबाद या बल्लभगढ़ में सरकारी ट्रामा सैंटर बनाया जाए। जिससे फरीदाबाद, बल्लभगढ़, एनआईटी, पृथला, तिगांव पलवल व होडल में रहने वाले क्षेत्रवासियों को लाभ मिलें व असमय होने वाली मौतों की संख्या भी कम हो सके।